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खुला है सभी के लिए बाबे रेहमत

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खुला है सभी के लिए बाबे रेहमत
वहाँ कोई रुतबे में अदना न आली
मुरादों से दामन नहीं कोई खाली
कतारें लगाए खड़े हैं सवाली

में पहले पहल जब मदीने गया था
तो थी दिल की हालत तड़प जाने वाली
वोह दरबार सचमुच मेरे सामने था
अभी तक तसव्वुर था जिसका ख़याली

में एक हाथ से दिल संभाले हुए था
तो थी दूसरे हाथ रोज़े की जाली
दुआ के लिए हाथ उठते तो कैसे
न ये हाथ खाली न वो हाथ खाली

जो पूछा है तुमने के में नज़र करने
को क्या ले गया था तो तफ्सील सुन लो
था नातों का एक हार, अश्कों के मोती
दुरूदों का गजरा , सलामों की डाली

धनि अपनी क़िस्मत का है तो वही है
दायरे नबी जिसने आँखों से देखा
मुकद्दर है सच्चा मुकद्दर उसी का
निगाहें करम जिसपे आक़ा ने डाली

में उस आस्ताने हरम का गदा हूँ
जहां सर जुकाते हैं शाहाने आलम
मुझे ताजदरों से कम मत समझना
मेरा सर है शायाने ताजे बिलाली

में तौसीफ़ी सरकार तो कर रहा हूँ
मगर अपनी औक़ात से बा-खबर हूँ
में सिर्फ एक अदना सना-ख्वां हूँ उनका
कहाँ में कहाँ नाते कमालो हाली

खुला है सभी के लिए बाबे रेहमत
वहाँ कोई रुतबे में अदना न आली
मुरादों से दामन नहीं कोई खाली
कतारें लगाए खड़े हैं सवाली
Mohammad Wasim

KI MUHAMMAD ﷺ SE WAFA TU NE TO HUM TERE HAIN,YEH JAHAN CHEEZ HAI KYA, LAUH O QALAM TERE HAIN.