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    Mohammad Wasim
  • 14/01/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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लिखा है इक ज़ईफ़ा थी

लिखा है इक ज़ईफ़ा थी जो मक्का में रहती थीवो इन बातों को सुनती थी मगर खामोश रहती थी