जिस के हाथों में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-नबीजिस के पहलू में है राहवार-ए-नबीदुख़्तर-ए-मुस्तफ़ा जिस की दुल्हन बनीजिस के बेटों से नस्ल-ए-नबी है चली
तुम्हें जो दिल से पुकारा, मेरे ग़रीब-नवाज़ ! ब-वक़्त पाया सहारा, मेरे ग़रीब-नवाज़ !
मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदेमेरी आसाँ उमीदाँ दे सदा बूटे हरे रहँदे
सरकार-ए-ग़ौस-ए-आ'ज़म ! नज़र-ए-करम ख़ुदा-रामेरा ख़ाली कासा भर दो, मैं फ़क़ीर हूँ तुम्हारा
रौनक़-ए-कुल-औलिया, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !पेशवा-ए-अस्फ़िया, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !















