रौनक़-ए-कुल-औलिया, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
पेशवा-ए-अस्फ़िया, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
आप हैं पीरों के पीर और आप हैं रौशन-ज़मीर
आप शाह-ए-अत्क़िया, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
औलिया की गर्दनें हैं आप के ज़ेर-ए-क़दम
या इमाम-अल-औलिया ! या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
थरथराते हैं, शहा ! जिन्नात तेरे नाम से
है तेरा वो दबदबा, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
पैदा होते ही रखे रमज़ाँ में रोज़े, दिन में दूध
का न इक क़तरा पिया, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
जिस तरह मुर्दे जिलाए, इस तरह, मुर्शिद ! मेरे
मुर्दा दिल को भी जिला, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
अहल-ए-महशर देखते ही हश्र में यूँ बोल उठे
मरहबा सद-मरहबा ! या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
आप जैसा पीर होते क्या ग़रज़ दर दर फिरूँ
आप से सब कुछ मिला, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
गो ज़लील-ओ-ख़्वार हूँ, बद-कार-ओ-बद-किरदार हूँ
आप का हूँ आप का, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
रास्ता पुर-ख़ार, मंज़िल दूर, बन सुनसान है
अल-मदद, ऐ रहनुमा ! या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
ग़ौस-ए-आ'ज़म ! आइए मेरी मदद के वासिते
दुश्मनों में हूँ घिरा, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
आफ़तें भी दूर हों, रंज-ओ-बला काफ़ूर हों
अज़-तुफ़ैल-ए-मुस्तफ़ा, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
इज़्न दो बग़दाद का हर इक 'अक़ीदत-मंद को
ग्यारहवीं वाले पिया ! या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
मीठे मुर्शिद ! हाज़िरी को इक ज़माना हो गया
दर पे फिर मुझ को बुला, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
मेरे मीठे मीठे मुर्शिद ! आइए ना ख़्वाब में
वास्ता सरकार का, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
अपनी उल्फ़त की पिला कर मय मुझे, या मुर्शिदी !
मस्त और बे-ख़ुद बना, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
लम्हा लम्हा बढ़ रहा है, हाए ! 'इस्याँ का मरज़
दीजिए मुझ को शिफ़ा, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
मुर्शिदी ! मुझ को बना दे तू मुरीद-ए-मुस्तफ़ा
अज़-प-ए-अहमद रज़ा, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
अपने रब से मुस्तफ़ा का ग़म दिला दे, मुर्शिदी !
हाथ उठा के कर दु'आ, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
अब सिरहाने आओ, मुर्शिद ! और मुझे कलमा पढ़ाओ
दम लबों पर आ गया, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
है यही 'अत्तार की हाजत मदीने में मरे
हो 'इनायत, सय्यिदा ! या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर !
रौनक़-ए-कुल-औलिया या ग़ौस-ए-आज़म दस्तगीर
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