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सर-ता-ब-क़दम है तन-ए-सुल्तान-ए-ज़मन फूल तज़मीन के साथ

  • Mohammad Wasim
  • 06/12/2025
  • 1 मिनट का पाठ
  • 688 बार देखा गया
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सर-ता-ब-क़दम है तन-ए-सुल्तान-ए-ज़मन फूल तज़मीन के साथ

वो बन में क़दम रख दें तो बन जाता है बन फूल
जिस फूल को वो छू लें वो हो रश्क-ए-चमन फूल
मैं क्यूँ कहूँ कि सिर्फ़ है आक़ा का दहन फूल
सर-ता-ब-क़दम है तन-ए-सुल्तान-ए-ज़मन फूल
लब फूल दहन फूल ज़क़न फूल बदन फूल

आराम गुनहगार को इक पल नहीं मिलता
सर से मेरे आलाम का सूरज नहीं ढलता
मैं क्या करूँ, सरकार ! मेरा बस नहीं चलता
तिनका भी हमारे तो हिलाए नहीं हिलता
तुम चाहो तो हो जाए अभी कोह-ए-मिहन फूल

अल्लाह ने सरकार की वो शान बनाई
वल्लाह कोई कर नहीं सकता है बड़ाई
हैरान हुई देख के ये सारी ख़ुदाई
दंदान-ओ-लब-ओ-ज़ुल्फ़-ओ-रुख़-ए-शह के फ़िदाई
हैं दुर्र-ए-'अदन, ला'ल-ए-यमन, मुश्क-ए-ख़ुतन, फूल

ऐ मालिक-ए-कुल, रश्क-ए-जहाँ, शाह-ए-रसूलाँ
महबूब-ए-ख़ुदा, नूर-ए-ख़ुदा, रहमत-ए-यज़्दाँ
है 'अर्ज़ की अहबाब न हों मुझ से परेशाँ
हों बार-ए-गुनह से न ख़जिल दोश-ए-'अज़ीज़ाँ
लिल्लाह मेरी ना'श कर, ऐ जान-ए-चमन फूल

कहता है बशर अपनी तरह वो है कमीना
दिखलाओ उसे शहर-ए-बरेली का क़रीना
उस 'आशिक़-ए-सादिक़ ने बड़ी बात कही ना
वल्लाह जो मिल जाए मेरे गुल का पसीना
माँगे न कभी 'इत्र, न फिर चाहे दुल्हन फूल

औक़ात, वसी ! तेरी न ही तेरे क़लम की
मत पूछ ये कि कैसे ये तज़मीन रक़म की
ये ख़ास 'इनायत है नवासों के क़दम की
क्या बात, रज़ा ! उस चमनिस्तान-ए-करम की
ज़हरा है कली जिस में, हुसैन और हसन फूल

 

सर-ता-ब-क़दम है तन-ए-सुल्तान-ए-ज़मन फूल
लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

तिनका भी हमारे तो हिलाए नहीं हिलता
तुम चाहो तो हो जाए अभी कोह-ए-मक़ान फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

वल्लाह! जो मिल जाए मेरे गुल का पसीना
मांगे न कभी इत्र, न फिर चाहे दुल्हन फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

क्या ग़ज़ा मिला गर्द-ए-मदीना का जो है आज
निखरे हुए जोबन में क़यामत की फबन फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

दिल अपना भी शैदाई है उस नख़ून-ए-पा का
इतना भी माह-ए-नौ पे न आए चर्ख़-ए-कुहन फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

दंदान-ओ-लब-ओ-जुल्फ़-ओ-रुख़-ए-शाह के फ़िदाई
हैं दुर्र-ए-अदन, ला’ल-ए-यमन, मुश्क-ए-ख़ुतन फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

हूं बार-ए-गुनाह से न ख़जिल दोश-ए-अज़ीज़ान
लिल्लाह! मेरी नअश कर ऐ जान-ए-चमन फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

है कौन कि गिरया करे या फ़ातिहा को आए
बे-कस के उठाए तेरी रहमत के भरन फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

क्या बात रज़ा उस चमनिस्तान-ए-करम की
ज़हरा है कली जिसमें हुसैन और हसन फूल

लब फूल, दहन फूल, ज़कन फूल, बदन फूल

Mohammad Wasim

KI MUHAMMAD ﷺ SE WAFA TU NE TO HUM TERE HAIN,YEH JAHAN CHEEZ HAI KYA, LAUH O QALAM TERE HAIN.