मीराँ मीराँ मीराँ मीराँ
हमारी है दु'आ, शह-ए-ग़ौस-उल-वरा
हरा भरा रहे ये क़ादरी चमन
नबवी मींह, 'अलवी फ़स्ल, बतूली गुलशन
हसनी फूल, हुसैनी है महकना तेरा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
बादशा है जो वलियों के ऐवान का, मरहबा मरहबा
हर तरफ़ रंग है जिस के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा
हर तरफ़ चर्चा है जिस के एहसान का, मरहबा मरहबा
जिस पे चलता नहीं वार शैतान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
'अक्स-ए-हुस्न-ओ-जमाल-ए-नबी आप हैं, क्या वली आप हैं
गुलशन-ए-फ़ातिमा की कली आप हैं, क्या वली आप हैं
मज़हर-ए-'इल्म-ए-मौला-'अली आप हैं, क्या वली आप हैं
पीर-ए-पीराँ हैं, ग़ौस-ए-जली आप हैं, क्या वली आप हैं
क्या बयाँ हो भला आप की शान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ये चरिंद-ओ-परिंद-ओ-शजर, ये हजर, फ़ातिमा के पिसर
ये ज़मीं, ये फ़लक, कहकशाँ, ये क़मर, फ़ातिमा के पिसर
तेरे महकूम हैं सारे जिन्न-ओ-बशर, फ़ातिमा के पिसर
सारी मख़्लूक़ है तेरे पेश-ए-नज़र, फ़ातिमा के पिसर
मिस्ल कोई नहीं है तेरी शान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
तू है ज़िल्ल-ए-नबी, तू है इब्न-ए-'अली, तू है ऐसा वली
तेरे ज़ेर-ए-क़दम रब के सारे वली, तू है ऐसा वली
आस्ताँ पर तेरे औज-ए-दुनिया झुकी, तू है ऐसा वली
ग़ौस-ओ-अब्दाल करते हैं ख़िदमत तेरी, तू है ऐसा वली
तू ही काशिफ़ है असरार-ए-क़ुरआन का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
मेरी रग रग में है तेरी उल्फ़त बसी, वाह क़िस्मत मेरी
मश्ग़ला है मेरा मदह-ख़्वानी तेरी, वाह क़िस्मत मेरी
मेरी क़िस्मत पे क़िस्मत भी नाज़ाँ हुई, वाह क़िस्मत मेरी
सैफ़ ! मुझ को भी मीराँ की निस्बत मिली, वाह क़िस्मत मेरी
मैं भी सग हूँ दर-ए-पीर-ए-पीरान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का, मरहबा मरहबा
ज़िक्र है आज उस शाह-ए-जीलान का मरहबा मरहबा
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