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बेहरे दीदार मुश्ताक़ है हर नज़र, दोनों आलम के सरकार आ जाइये

  • Mohammad Wasim
  • 21/02/2025
  • 1 मिनट का पाठ
  • 3,483 बार देखा गया
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आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

बेहरे दीदार मुश्ताक़ है हर नज़र
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

चांदनी रात है और पिछला पहर
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

सामने जलवागर पैकरे नूर हो
मुन्किरों का भी सरकार शक दूर हो
करके तब्दील एक दिन लिबासे बशर
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

शामे उम्मीद का अब सवेरा हुआ
सू-इ-तयबा निगाहों का डेरा हुआ
बिछ गयी राह में फ़र्शे कल्बो जिगर
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

दिल को टुटा हुआ आबगीना लिए
शोला-इ-इश्क़ का तूरे सीना लिए
कितने घायल खड़े हैं सरे राह गुज़र
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

सिदरतुल मुंतहा , अर्श , बाबे इरम
हर जगह पढ़ चुके हैं निशाने क़दम
अब तो इक बार अपने ग़ुलामों के घर
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

आखरी वक़्त है एक बीमार का
दिल मचल ने लगा शोके दीदार का
बुज न जाए कहीं ये चरागे सहर
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये

शामे ग़ुरबत है और शहर खामोश है
एक अरशद अकेला कफनपोश है
खौफ की है घडी वक़्त है पुरख़तर
दोनों आलम के सरकार आ जाइये

आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
आक़ा आ जाइये आक़ा आ जाइये
 
Mohammad Wasim

KI MUHAMMAD ﷺ SE WAFA TU NE TO HUM TERE HAIN,YEH JAHAN CHEEZ HAI KYA, LAUH O QALAM TERE HAIN.