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देखने को या मुहम्मद यूँ तो क्या देखा नहीं | कोई आप सा देखा नहीं

  • Mohammad Wasim
  • 06/01/2025
  • 1 मिनट का पाठ
  • 4,704 बार देखा गया
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ख़ुदा का नूर तुझ में हू-ब-हू है
ख़ुदा पिन्हा मगर तू रू-ब-रू है
तेरी 'अज़मत का अंदाज़ा हो किस को
ख़ुदा है और ख़ुदा के बा'द तू है

कोई आप सा देखा नहीं, कोई आप सा देखा नहीं

देखने को, या मुहम्मद  यूँ तो क्या देखा नहीं
हाँ  मगर महबूब कोई आप सा देखा नहीं

देखने को, या मुहम्मद   यूँ तो क्या देखा नहीं

इक से इक बढ़ कर हसीं देखे मगर, या मुस्तफ़ा !
तुम से बढ़ कर हुस्न वाला दूसरा देखा नहीं

देखने को, या मुहम्मद   यूँ तो क्या देखा नहीं

कोई आप सा देखा नहीं, कोई आप सा देखा नहीं

यूँ तो सारे नबी मोहतरम हैं मगर

कोई आप सा देखा नहीं, कोई आप सा देखा नहीं

रसूल और भी आए जहान में लेकिन

कोई आप सा देखा नहीं

मीम का पर्दा हटा कर वो निगाह-ए-शौक़ से
मुस्तफ़ा को देख ले जिस ने ख़ुदा देखा नहीं

कोई आप सा देखा नहीं, कोई आप सा देखा नहीं

सूरत को तेरी देख के कुछ मुँह से न निकला
निकला तो ये निकला

कोई आप सा देखा नहीं, कोई आप सा देखा नहीं

मैं तो कर सकता नहीं जन्नत की बातें शौक़ से
वो करे जिस ने दयार-ए-मुस्तफ़ा देखा नहीं

देखने को, या मुहम्मद  यूँ तो क्या देखा नहीं

Mohammad Wasim

KI MUHAMMAD ﷺ SE WAFA TU NE TO HUM TERE HAIN,YEH JAHAN CHEEZ HAI KYA, LAUH O QALAM TERE HAIN.