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हर दिल में जो रहते हैं वो मेरे मुहम्मद हैं

  • Mohammad Wasim
  • 07/05/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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हर दिल में जो रहते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं
जो रब को भी प्यारे हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

हर दिल में जो रहते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं
महबूब ख़ुदा के हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

ये शान है बचपन की, उँगली के इशारे से
जो चाँद हिलाते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

सीरत है बड़ी प्यारी, अख़्लाक़ भी आ'ला है
दुश्मन भी जो माने हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

क़ुर्बान समा'अत पर जो जानवरों की भी
बोली को समझते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैंमे'राज-ए-नबी ऐसी, अल्लाह को देख आए
ए'ज़ाज़ ये रखते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

कुफ़्फ़ार भी हैराँ हैं कि पेड़ खजूरों का
बिन बीज उगाते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

घबराओ न, दीवानो ! जो दिल में है वो माँगो
हर बात जो सुनते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

परवान ! किताबों में ग़ैरों ने भी लिक्खा है
दुनिया में जो सच्चे हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं

Mohammad Wasim

KI MUHAMMAD ﷺ SE WAFA TU NE TO HUM TERE HAIN,YEH JAHAN CHEEZ HAI KYA, LAUH O QALAM TERE HAIN.