नमी-दानम कुजा रफ़्तम, सफ़र सदियों से जारी है
मेरे आक़ा ! मोहब्बत आप की इस दिल पे तारी है
कोई समझे, नहीं मुमकिन, किसी को कैसे समझाऊँ
जो मेरे दिल की हालत है, फ़क़त आक़ा को बतलाऊँ
किसी के भी गुमाँ में हो, नहीं मुमकिन, नहीं मुमकिन
किसी को भी जहाँ में हो, नहीं मुमकिन, नहीं मुमकिन
मुझे है आप से जितनी मोहब्बत, या रसूलल्लाह !
मुझे है आप से जितनी मोहब्बत, या रसूलल्लाह !
मैं सदक़े, या रसूलल्लाह ! मैं सदक़े, या रसूलल्लाह !
मैं सदक़े, या रसूलल्लाह ! मैं सदक़े, या रसूलल्लाह !
हुए हैं लफ़्ज़ भी साकिन, नमीं आँखों में ठहरी है
मोहब्बत आप की ज़मज़म के कुँवें से भी गहरी है
स'ई करती हैं ये आँखें तेरी गलियों, तेरे दर की
कभी ना'लैन को चूमें, कभी मस्जिद के मिम्बर की
किसी के भी गुमाँ में हो, नहीं मुमकिन, नहीं मुमकिन
किसी को भी जहाँ में हो, नहीं मुमकिन, नहीं मुमकिन
मुझे है आप से जितनी मोहब्बत, या रसूलल्लाह !
मुझे है आप से जितनी मोहब्बत, या रसूलल्लाह !
मैं सदक़े, या रसूलल्लाह ! मैं सदक़े, या रसूलल्लाह !
मैं सदक़े, या रसूलल्लाह ! मैं सदक़े, या रसूलल्लाह !
या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह !
या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह !
मैं सदक़े या रसूलल्लाह | मुझे है आप से जितनी मोहब्बत या रसूलल्लाह
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