इतना काफी है ज़िंदगी के लिए
रख लें सरकार जो नौकरी के लिए
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
दुनिया के किसी शोबे में नाकाम नहीं हूँ
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
मेरे निजात का यही रास्ता दिखाई दे
अल्लाह मुझको मक्का मदीना दिखाई दे
रौज़ा-ए-मुस्तफ़ा है जहाँ पर ऐ मोमिनो
आशिक वहीं पे जीता और मरता दिखाई दे
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
दुनिया के हुक्मरानों से डरता नहीं कभी
डॉलर से या रियाल से बिकता नहीं कभी
जिस ज़ेहन में समाया है फ़क़त दस्त-ए-कर्बला
मोमिन वो सर कटाता है झुकता नहीं कभी
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
आका का फ़ैसला वही क़ुदरत का फ़ैसला
महशर में होगा उनकी शफ़ाअत का फ़ैसला
कैसे भला वो जाए जहन्नम की आग में
कर लें हुज़ूर जिसकी हिमायत का फ़ैसला
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
पाबंदी क्या लगेगी दुरूद-ओ-सलाम पर
क्यों डालते हो पहरा इबादत के काम पर
बातिल को कह दो आशिकों का इम्तिहान ले
हम जान देंगे अपनी मुहम्मद के नाम पर
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
इकसी सफ़ी लाई हुई दीवार हैं हम लोग
सरकार के आशिक हैं पुरइसरार हैं हम लोग
जो छाया करें ख़ाके वो जितने हों चालिस
उन सब को मिटाने को ही तैयार हैं हम लोग
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
बहरी समाअतों में वो सच की अज़ान है
आका जवाम-उल-क़लम की ऊँची शान है
अल्लाह ने हुज़ूर को वो लहजा दे दिया
अहले ज़बान जितने ये सब बेज़बान हैं
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ
इंजीनियर, वकील या ताजिर हो डॉक्टर
सब कुछ तो हो मगर तुम्हें इतनी भी है खबर
हक़-ए-मुस्तफ़ा का हमपे उजागर है उम्र भर
ज़िल्लत का जीना छोड़ के इज़्ज़त की मौत मर
सरकार का नौकर हूँ कोई आम नहीं हूँ







