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आया नबी का जश्न-ए-विलादत पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत

  • Mohammad Wasim
  • 29/08/2025
  • 1 मिनट का पाठ
  • 770 बार देखा गया
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मेरे सरकार आए ! मेरे दिलदार आए ! 
नबियों के सरदार आए ! 
ताजदार-ए-ख़त्म-ए-नबुव्वत आए ! 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 
बारहवीं का दिन बा'इस-ए-रहमत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

एक ख़ुदा का नाम ज़बाँ पर आते ही सज्दा उस को किया है 
होंटों पे जारी नग़्मा-ए-वहदत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

धूम मची चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
शादी रची चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
कलियाँ खिलीं चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
महकी फ़ज़ा चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
भीनी हवा चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
ज़िक्र-ए-नबी चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
जश्न-ए-नबी चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 

ना'त की महफ़िल घर में सजाओ, उन की सना के फूल खिलाओ 
ज़िक्र-ए-नबी से पाओगे रहमत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

जश्न-ए-विलादत अपना 'अक़ीदा, जैसी हो मुश्किल छोड़ेंगे ना हम 
सुन ले ज़माना मेरी वसिय्यत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

'इश्क़-ए-नबी में मस्त हुए हैं, जान भी देंगे माल भी देंगे 
'इश्क़ है ईमाँ 'इश्क़ ज़रूरत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

रहमतों वाला बरकतों वाला, दर्द दिलों के बाँटने वाला 
आया नबी वो क़ासिम-ए-ने'मत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

सजते हैं परचम घर में गली में, धूम है हर दम सारे जहाँ में 
लब पे हैं ना'रे दिल में 'अक़ीदत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

जोश-ओ-जुनूँ है, कितना सुकूँ है, जश्न-ए-नबी से 'इश्क़ फ़ुज़ूँ है 
उन के करम से मिलती है 'इज़्ज़त, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

सरकार की आमद ! मरहबा ! 
दिलदार की आमद ! मरहबा ! 
आक़ा की आमद ! मरहबा ! 
मक्की की आमद ! मरहबा ! 
मदनी की आमद ! मरहबा ! 
लजपाल की आमद ! मरहबा ! 
सरदार की आमद ! मरहबा ! 
मनठार की आमद ! मरहबा ! 

सारे जहाँ में, 'अरब-ओ-'अजम में, जश्न-ए-नबी की धूम मची है 
फैली है ख़ुशियाँ चमकी है रंगत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

लफ़्ज़ों के मोती, 'इश्क़ का गजरा, तोहफ़ा उजागर ! ख़ूब मिला है 
ना'त-ए-नबी है उन की 'इनायत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

आया नबी का जश्न-ए-विलादत, पंद्रह सौ साला जश्न-ए-विलादत 

धूम मची चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
शादी रची चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
कलियाँ खिलीं चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
महकी फ़ज़ा चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
भीनी हवा चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
ज़िक्र-ए-नबी चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 
जश्न-ए-नबी चारों तरफ़ ! मरहबा मरहबा ! 

Mohammad Wasim

KI MUHAMMAD ﷺ SE WAFA TU NE TO HUM TERE HAIN,YEH JAHAN CHEEZ HAI KYA, LAUH O QALAM TERE HAIN.