मेरे सरकार आए ! मेरे दिलदार आए ! नबियों के सरदार आए ! ताजदार-ए-ख़त्म-ए-नबुव्वत आए !
नबियों में गुलाब हैं, रश्क-ए-माहताब हैंरब का इंतिख़ाब हैं, मेरे नबी मेरे नबी मेरे नबी
हर दिल में जो रहते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैंजो रब को भी प्यारे हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं
मुझ को तक़दीर ने उस दौर में लिक्खा होताबातें सुनता मैं कभी, पूछता मा'नी उन के















