• author
    Mohammad Wasim
  • 21/12/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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Lab pe Salle Ala ke Tarane Lyrics / लब पे सल्ले अला के तराने

lab pe salle ala ke taraaneashk aankhon mein aaye hue hainye hawa ye faza keh rahi haiaap tashreef laaye hue hain

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    Mohammad Wasim
  • 06/12/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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सर-ता-ब-क़दम है तन-ए-सुल्तान-ए-ज़मन फूल तज़मीन के साथ

आराम गुनहगार को इक पल नहीं मिलतासर से मेरे आलाम का सूरज नहीं ढलता

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    Mohammad Wasim
  • 06/12/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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तनम-फ़र्सूदा जाँ-पारा ज़े-हिज्राँ या रसूलल्लाह

तनम-फ़र्सूदा जाँ-पारा ज़े-हिज्राँ, या रसूलल्लाह !दिलम पज़मुर्दा आवारा ज़े-'इस्याँ, या रसूलल्लाह !

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    Mohammad Wasim
  • 04/12/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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चमक तुझसे पाते हैं सब पाने वाले

चमक तुझसे पाते हैं सब पाने वालेमेरा दिल भी चका दे चमकाने वाले

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    Mohammad Wasim
  • 14/11/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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खुला है सभी के लिए बाबे रेहमत

खुला है सभी के लिए बाबे रेहमतवहाँ कोई रुतबे में अदना न आली

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    Mohammad Wasim
  • 13/11/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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मैं सदक़े या रसूलल्लाह | मुझे है आप से जितनी मोहब्बत या रसूलल्लाह

नमी-दानम कुजा रफ़्तम, सफ़र सदियों से जारी हैमेरे आक़ा ! मोहब्बत आप की इस दिल पे तारी है

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    Mohammad Wasim
  • 11/11/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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सरकार का नौकर हूँ, कोई आम नहीं हूँ

इतना काफी है ज़िंदगी के लिएरख लें सरकार जो नौकरी के लिए

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    Mohammad Wasim
  • 06/09/2025
  • 1 मिनट का पाठ
  • कोई दृश्य नहीं
दिलों से ग़म मिटाता है, मुहम्मद नाम ऐसा है || हिंदी

दिलों से ग़म मिटाता है, मुहम्मद नाम ऐसा हैनगर उजड़े बसाता है, मुहम्मद नाम ऐसा है

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    Mohammad Wasim
  • 06/09/2025
  • 1 मिनट का पाठ
  • कोई दृश्य नहीं
अपने मालिक का में नाम लेकर

अपने मालिक का में नाम लेकरबज़्म की इब्तिदा कर रहा हूँ

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    Mohammad Wasim
  • 02/09/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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ऐ सबा सरकार की बातें सुना

ऐ सबा ! सरकार की बातें सुनासय्यिद-ए-अबरार की बातें सुनामैं दुरूदों के हूँ नग़्मे छेड़तातू मुझे सरकार की बातें सुना

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    Mohammad Wasim
  • 02/09/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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आओ कि करें उन लब-ओ-रुख़्सार की बातें, सरकार की बातें

आओ कि करें उन लब-ओ-रुख़्सार की बातें, सरकार की बातेंमहबूब-ए-ख़ुदा, पैकर-ए-अनवार की बातें, सरकार की बातेंजब कोई नहीं, कोई नहीं, कोई सहारा, ग़म-ख़्वार हमाराहम क्यूँ न करें अपने ख़रीदार की बातें, सरकार की बातें

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    Mohammad Wasim
  • 29/08/2025
  • 1 मिनट का पाठ
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है मीलाद हुज़ूर का | पंद्रह सौ सालों से जारी है यही सिलसिला

मेरे आक़ा आए हैं, सज गया ज़माना है मेरे आक़ा आए हैं, सज गया ज़माना है आया आया आया जश्न-ए-नबी ! आया आया आया जश्न-ए-नबी !