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ज़िंदगी याद-ए-मदीना में गुज़ारी सारी

  • Mohammad Wasim
  • 04/03/2025
  • 1 मिनट का पाठ
  • 3,525 बार देखा गया
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ज़िंदगी याद-ए-मदीना में गुज़ारी सारी
'उम्र भर की ये कमाई है हमारी सारी

आप के एक इशारे पे ख़ुदा बख़्शेगा
बात बन जाएगी महशर में हमारी सारी

बात बन जाएगी, बात बन जाएगी, बात बन जाएगी

हर नज़र काँप उठेगी महशर के दिन
ख़ौफ़ से हर कलेजा दहल जाएगा

मुस्कुराते हुए आप आ जाएँगे

फिर बात बन जाएगी, बात बन जाएगी

दोज़ख़ में मैं तो क्या मेरा साया न जाएगा

फिर बात बन जाएगी, बात बन जाएगी

है तू भी, साइम  अजीब इंसाँ
कि रोज़-ए-महशर से है हिरासाँ
अरे  तू जिन की है ना'त पढ़ता
वही तो लेंगे हिसाब तेरा

बात बन जाएगी

बात बन जाएगी महशर में हमारी सारी

ख़ौफ़ न रख, रज़ा  ज़रा, तू तो है अब्द-ए-मुस्तफ़ा
तेरे लिए अमान है, तेरे लिए अमान है

बात बन जाएगी महशर में हमारी सारी

ज़िंदगी याद-ए-मदीना में गुज़ारी सारी

ऐसा अल्लाह ने सुलतान बनाया तुझ को
रब की मख़्लूक़ हुई तेरी भिकारी सारी

ज़िंदगी याद-ए-मदीना में गुज़ारी सारी

देख कर ख़ुल्द-ए-बरीं दिल ने कहा ये फ़ौरन
किस ने तस्वीर मदीने की उतारी सारी

ज़िंदगी याद-ए-मदीना में गुज़ारी सारी

होंगे दुनिया में कई और सख़ी भी, साजिद 
उन के दर तक है फ़क़त दौड़ हमारी सारी

ज़िंदगी याद-ए-मदीना में गुज़ारी सारी

Mohammad Wasim

KI MUHAMMAD ﷺ SE WAFA TU NE TO HUM TERE HAIN,YEH JAHAN CHEEZ HAI KYA, LAUH O QALAM TERE HAIN.